24 नवम्बर 1675 – जब धर्म बचा, तब मानवता बची

24 नवम्बर 1675…वह दिन जब दिल्ली के चाँदनी चौक में खामोशी बोल रही थी,लोगों की साँसें थमी हुई थीं,और पूरे हिंदुस्तान का भविष्य एक धर्मात्मा संत की हिम्मत पर खड़ा था।लाल किले के सामने नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर साहिब अडिग बैठे थे ना भय, ना चिंता, ना झुकने की इच्छा…सामने औरंगज़ेब की जिद इस्लाम कबूल करो!
या फिर मौत चुन लो!

शर्त यह थी
अगर गुरु साहिब इस्लाम स्वीकार कर लेते,
तो पूरे हिंदू समाज को अपनी पहचान छोड़नी पड़ती।
देश की संस्कृति मिट जाती,
मंदिरों की घंटियों की जगह हर ओर जबरन अज़ान सुनाई देती।

परन्तु गुरु तेग बहादुर साहिब जानते थे
धर्म बदला तो इंसान खत्म,
आस्था टूटी तो आत्मा मर गई।उन्होंने कहा
“तिलक-जनेऊ की रक्षा हेतु शीश दिया, पर धर्म न दिया!”

फतवा पढ़ा गया…
तलवार चली…
शीश कटा…
पर आत्मा अमर हो गई।

जहाँ उनका शीश गिरा, वहाँ आज गुरुद्वारा शीश गंज साहिब खड़ा है
जो इस बात का प्रमाण है कि
अत्याचार चाहे कितना भी बड़ा हो…
सत्य हमेशा विजयी होता है।

यह केवल हिंदुओं के अस्तित्व की लड़ाई नहीं थी,
यह मानवता की रक्षा थी।
गुरु साहिब ने किसी एक धर्म को नहीं
सभी को अपने धर्म पर चलने का अधिकार दिलाया।

उस समय सच्चे मुस्लिम भाई भी गुरु साहिब के साथ खड़े थे,
क्योंकि अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाना ही असली धर्म है।

और फिर जन्म हुआ उस क्रांति का,
जिसे दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंघ जी ने
खालसा पंथ के रूप में दुनिया के सामने खड़ा किया
अकाल पुरख की फौज
जो केवल एक बार अत्याचार मिटाने के लिए नहीं,
तो हर वक्त होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए खड़ी हुई!

गुरु तेग बहादुर साहिब ने दिखाया कि
“कुरबानी वही, जो किसी और के लिए दी जाए।”
उन्होंने अपने लिए नहीं,
इस देश की बेटी—बेटों के लिए,
उनकी आस्था, सम्मान और अस्तित्व के लिए शीश न्यौछावर किया।

उनका बलिदान मानव इतिहास की ऐसी मिसाल है,
जो पराक्रम नहीं
पावन प्रेम और मानवता का सर्वोच्च प्रतीक है।

आज भारत सरकार और महाराष्ट्र सरकार द्वारा
इस सच्चे इतिहास को घर-घर पहुँचाने का प्रयास
एक महान क्रांति का आरंभ है।
यह किसी एक समुदाय के विरुद्ध नहीं
गलत विचारधारा और अन्याय के विरुद्ध जागृति है।

खालसा पंथ की स्थापना ने बताया
डर कर धर्म नहीं बचता!
धर्म बचता है सत्य, साहस और त्याग के बल पर!

आइए प्रण करें
इस पावन बलिदान का संदेश
हर बच्चे को, हर पीढ़ी को सिखाएँगे
कि मानवता की रक्षा ही सबसे बड़ा धर्म है।

धर्म की चादर — हिंद की चादर — श्री गुरु तेग बहादुर साहिब — आप अमर हैं!
आपके शीश ने भारत को “हिंदुस्तान” बनाए रखा!

✍️
राजेंद्र सिंघ शाहू
इलेक्ट्रिकल ट्रैनंर नांदेड
मो. 7700063999

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