नांदेड (प्रतिनिधि) – कोई भी चुनाव चुनाव निर्णय अधिकारी के प्रमाण पत्र के बाद समाप्त हो जाता है। लेकिन खांडल विप्र संगठन महाराष्ट्र प्रदेश चुनाव में पूर्व अध्यक्ष जयनारायण रूथला ने आज व्हाट्सएप संदेश पोस्ट कर इसमें ट्विस्ट डाल दिया है। महाराष्ट्र प्रदेश संगठन के सदस्यों में चर्चा है कि इस खेल के पीछे सुनील चोटिया नामक व्यक्ति का हाथ है। कहा जा रहा है कि इसमें इंग्लैंड से कोई बंदर काम कर रहा है। खांडल विप्र संगठन महाराष्ट्र प्रदेश चुनाव जनवरी में शुरू हुए और परसों खत्म हो गए। 7 जून को। इस चुनाव में कई खेल खेले गए। खेलों का मकसद एक ही था कि पुराने पदाधिकारियों द्वारा किए गए आर्थिक और सामाजिक घोटाले उजागर न हों। मौजूदा हालात में चर्चा है कि पुराने पदाधिकारियों को बाहर कर युवा शक्ति को नेतृत्व दिया जाए बूढ़े लोगों को पद क्यों चाहिए, लेकिन बूढ़े लोग ये पद सिर्फ मंच पर फोटो खिंचवाने, स्मृति चिन्ह लेने, अपने परिवार का भला करने और दूसरे परिवारों में जहर फैलाने के लिए चाहते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ लोग मुख्य चुनाव अधिकारी गौरीशंकर चोटिया जालना के पास गए और वहां चर्चा में गौरीशंकर चोटिया ने उन्हें पढ़ानेवालों को भारी सबक दिया। उसके बाद सुनील चोटिया ने पूर्व अध्यक्ष जयनारायण रूथला को समझाया कि चुनाव निर्णय अधिकारी उनका सम्मान नहीं करते हैं। दरअसल खांडल विप्र संगठन महाराष्ट्र प्रदेश संगठन की मातृसंस्था महासभा है। महासभा के अध्यक्ष मोहनलाल बोचीवाल ने भी (BHMB) की राजनीति से तंग आकर इस चुनाव प्रक्रिया को जल्द से जल्द खत्म करने की सलाह दी है।
लेकिन संतोष पिपलवा भले ही महाराष्ट्र प्रदेश संगठन के नए अध्यक्ष बन गए हों, लेकिन उन्हें अपनी कठपुतली की तरह काम करवाने की इच्छा रखनेवालों ने यह खेल खेला। इस खेल में, व्हाट्सएप पर एक पोस्ट डालकर एक नया खेल शुरू किया गया कि मातृ संगठन द्वारा नियुक्त चुनाव निर्णय अधिकारी और पर्यवेक्षक ने अभी तक कोई निर्णय नहीं दिया है। इन दो पर्यवेक्षकों में से एक पर्यवेक्षक मदनगोपाल निढाणिया हैं, जो कोई पद न होने के बावजूद भी महाराष्ट्र प्रदेश संगठन का बैंक खाता चला रहे हैं। साथ ही, दूसरे पर्यवेक्षक और चुनाव निर्णय अधिकारी गौरीशंकर चोटिया हैं। लेकिन उन्होंने चुनाव निर्णय अधिकारी के रूप में एक मजबूत भूमिका निभाई है और अब वे उनकी बात नहीं मान रहे हैं, इसलिए उन्होंने एक ही पर्यवेक्षक के भरोसे यह खेल खेला है। वास्तव में, चुनाव नहीं हुआ। पदों का खेल खेलने वाले चांडाल चौकड़ी ने चुनाव में दो अध्यक्ष पदों के उम्मीदवारों को अपने आवेदन वापस लेने पर मजबूर कर दिया। एक उम्मीदवार रामावतार रिणवा को इंग्लैंड के एक लंगूर का समर्थन प्राप्त है। लेकिन यह कभी सामने नहीं आया कि खांडल विप्र संगठन महाराष्ट्र प्रदेश के चुनाव में अपना सिर क्यों खपा रहा है, जबकि वह इंग्लैंड में हैं। नये अध्यक्ष संतोष पिपलवा ने भी सार्वजनिक रूप से घोषणा कर दी है कि वे किसी की नहीं सुनेंगे, उनके अनुसार यदि वे अध्यक्ष बन गए है तो अपने तरीके से काम करेंगे, तथा पदों के लिए खेलने वालों का मजाक उड़ाया है। यह संदेहास्पद है कि बुद्धिमान उस्मानभाई ने यह उपदेश देकर कि वरिष्ठों के मार्गदर्शन में काम करना है, कुछ ज्यादा ही कर दिया। क्योंकि उन्हें भी 2006 से कोई न कोई पद मिलता रहा है तथा उन्हें यह गलत धारणा है कि मैं बड़ा नेता हूं। उनके घर में उनकी बात कितने लोग सुनते हैं, यह प्रश्न भी महत्वपूर्ण है। परशुराम बैंक घोटाला भी उनके घर में बैठकर हुआ। कुल मिलाकर यह बहुत ही विचित्र खांडल विप्र संगठन महाराष्ट्र प्रदेश चुनाव बहुत ही अलग-अलग तरीकों से, विभिन्न गलत कामों के साथ चर्चा में आया तथा अभी भी चर्चा में है। यदि नये अध्यक्ष संतोष पिपलवा वे घोटाले सामने नहीं लाते, जो सभी खांडल बंधु चाहते हैं, तो महाराष्ट्र में खांडल बंधु उनके खिलाफ भी मोर्चा लगाने के लिए तैयार हैं।
लेकिन संतोष पिपलवा भले ही महाराष्ट्र प्रदेश संगठन के नए अध्यक्ष बन गए हों, लेकिन उन्हें अपनी कठपुतली की तरह काम करवाने की इच्छा रखनेवालों ने यह खेल खेला। इस खेल में, व्हाट्सएप पर एक पोस्ट डालकर एक नया खेल शुरू किया गया कि मातृ संगठन द्वारा नियुक्त चुनाव निर्णय अधिकारी और पर्यवेक्षक ने अभी तक कोई निर्णय नहीं दिया है। इन दो पर्यवेक्षकों में से एक पर्यवेक्षक मदनगोपाल निढाणिया हैं, जो कोई पद न होने के बावजूद भी महाराष्ट्र प्रदेश संगठन का बैंक खाता चला रहे हैं। साथ ही, दूसरे पर्यवेक्षक और चुनाव निर्णय अधिकारी गौरीशंकर चोटिया हैं। लेकिन उन्होंने चुनाव निर्णय अधिकारी के रूप में एक मजबूत भूमिका निभाई है और अब वे उनकी बात नहीं मान रहे हैं, इसलिए उन्होंने एक ही पर्यवेक्षक के भरोसे यह खेल खेला है। वास्तव में, चुनाव नहीं हुआ। पदों का खेल खेलने वाले चांडाल चौकड़ी ने चुनाव में दो अध्यक्ष पदों के उम्मीदवारों को अपने आवेदन वापस लेने पर मजबूर कर दिया। एक उम्मीदवार रामावतार रिणवा को इंग्लैंड के एक लंगूर का समर्थन प्राप्त है। लेकिन यह कभी सामने नहीं आया कि खांडल विप्र संगठन महाराष्ट्र प्रदेश के चुनाव में अपना सिर क्यों खपा रहा है, जबकि वह इंग्लैंड में हैं। नये अध्यक्ष संतोष पिपलवा ने भी सार्वजनिक रूप से घोषणा कर दी है कि वे किसी की नहीं सुनेंगे, उनके अनुसार यदि वे अध्यक्ष बन गए है तो अपने तरीके से काम करेंगे, तथा पदों के लिए खेलने वालों का मजाक उड़ाया है। यह संदेहास्पद है कि बुद्धिमान उस्मानभाई ने यह उपदेश देकर कि वरिष्ठों के मार्गदर्शन में काम करना है, कुछ ज्यादा ही कर दिया। क्योंकि उन्हें भी 2006 से कोई न कोई पद मिलता रहा है तथा उन्हें यह गलत धारणा है कि मैं बड़ा नेता हूं। उनके घर में उनकी बात कितने लोग सुनते हैं, यह प्रश्न भी महत्वपूर्ण है। परशुराम बैंक घोटाला भी उनके घर में बैठकर हुआ। कुल मिलाकर यह बहुत ही विचित्र खांडल विप्र संगठन महाराष्ट्र प्रदेश चुनाव बहुत ही अलग-अलग तरीकों से, विभिन्न गलत कामों के साथ चर्चा में आया तथा अभी भी चर्चा में है। यदि नये अध्यक्ष संतोष पिपलवा वे घोटाले सामने नहीं लाते, जो सभी खांडल बंधु चाहते हैं, तो महाराष्ट्र में खांडल बंधु उनके खिलाफ भी मोर्चा लगाने के लिए तैयार हैं।
