जिंदगी में सफलता पाने की चाह हर इंसान के दिल में होती है, लेकिन हर कोई सफलता की मंज़िल तक नहीं पहुँच पाता। इसका कारण हमारी सोच, हमारी आदतें और हमारी अपेक्षाएँ होती हैं। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का अमूल्य उपदेश हमें यही सिखाता है कि“पराई आस” और “पराई दात” से सदा दूर रहो।
*गुरु महाराज कहते हैं*
*जो व्यक्ति दूसरों से कुछ पाने की उम्मीद छोड़ देता है,*
*और अपने कर्म, अपने प्रयासों पर भरोसा करता है,*
*उसे सफलता से कोई भी ताकत नहीं रोक सकती।*
*जब हम किसी और से “फ्री में” कुछ पाने की उम्मीद करते हैं — चाहे वह आर्थिक सहायता हो, मान-सम्मान हो या कोई सुविधा — तो हम अपने मनोबल और कार्य-शक्ति को कमजोर कर देते हैं। यह उम्मीद धीरे-धीरे हमें आलस्य, निर्भरता और हीन भावना की ओर ले जाती है। परिणामस्वरूप, हम अपने भीतर की ऊर्जा को खो देते हैं और जीवन यूँ ही व्यर्थ चला जाता है।*
*पराई दात का अर्थ केवल भौतिक वस्तु नहीं, बल्कि दूसरों की सफलता, उनके सौभाग्य, या उनके उच्च पद के प्रति द्वेष या ईर्ष्या रखना भी है। जब हम किसी व्यक्ति से जलते हैं या उसके भाग्य को कोसते हैं, तो हम भूल जाते हैं कि उसे जो कुछ मिला है, वह उसके सद्कर्मों और परमात्मा की कृपा का परिणाम है।*
*यदि हम उस पराई दात का तिरस्कार करते हैं, तो वास्तव में हम उसी अकाल पुरख, सृष्टिरचेता एक परमेश्वर के फैसले का तिरस्कार कर रहे होते हैं। यह भावना हमें और नीचे गिराती है, और हमारी आत्मा को अशांत करती है।*
*गुरु महाराज की सीख यही कहती है:*. *“दूसरों की सफलता को देखकर प्रेरित हो,पर उनसे ईर्ष्या मत करो।*. *पराई आस छोड़ो,अपने कर्मों पर भरोसा रखो,और परमात्मा की कृपा में अडिग विश्वास रखो।”*
*जब हम दूसरों से कुछ पाने की आशा नहीं रखते और स्वयं के पुरुषार्थ से आगे बढ़ते हैं, तब अकाल पुरख हमें ऐसा आत्मबल देता है कि असंभव लगने वाली राहें भी खुलने लगती हैं।*
*आओ, आज हम सब गुरु महाराज के इस दिव्य संदेश को अपने जीवन का मार्गदर्शन बनाएं* *ना पराई आस रखें।*
*ना पराई दात का तिरस्कार करें।*
*अपने कर्म, अपनी लगन और परमात्मा की कृपा पर विश्वास रखें।*
*याद रखो “जो खुद पर भरोसा रखता है, वही सृष्टिरचेता परमात्मा की कृपा का सच्चा अधिकारी बनता है।”*
*चलो, आज हम सब मिलकर प्रण लें कि*
*हम गुरु महाराज की सीख पर चलेंगे,*
*पराई आस और पराई दात से दूर रहकर*
*अपना लक्ष्य प्राप्त करेंगे और जीवन में सच्ची सफलता हासिल करेंगे*
🙏 *वाहेगुरू जी का खालसा, वाहेगुरूजी की फतेह!* 🙏
✍️ राजेंद्र सिंघ नौनिहाल सिंघ शाहू इलेक्ट्रिकल ट्रैनंर नांदेड
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