महाराष्ट्र प्रदेश खांडल समाज के नए अध्यक्ष संतोष पिपलवा से समाज को काफी उम्मीदें हैं।

एडवोकेट निखिल खंडेलवाल

नांदेड़ – महाराष्ट्र खांडल प्रदेश संगठन के अध्यक्ष पद का चुनाव आखिरकार निर्विरोध संपन्न हो गया है। चुनाव का फैसला चुनाव अधिकारियों द्वारा दिया जाना है। हालांकि, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने नए अध्यक्ष के चयन की घोषणा की। यह इस चुनाव में एक नया चलन देखने को मिला है। () समूह ने एक समाज के सदस्य के अंतिम संस्कार के दिन नए अध्यक्ष का अभिनंदन करके यह दिखाने की कोशिश की कि हम आपके हैं और इसके बाद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन की घोषणा की। खांडल समाज में यह भावना बनी हुई है कि क्या अब नया अध्यक्ष () समूह के पुराने घोटालों को उजागर करेगा या नहीं। लेकिन उम्मीद यही है कि नया अध्यक्ष पूर्व में समाज से किए गए वादों का पालन करे और इसी तरह () समूह के सभी पुराने घोटालों को उजागर करे। उनमें से एक ने तो समाज के 40 लाख रुपए अपने कारोबार के लिए इस्तेमाल भी कर लिए हैं। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि पूर्व में भी इसी तरह का घोटाला एक मौत के तीसरे दिन निपटाया गया था। इसकी यादें भी अब समाज में जागृत होने लगी हैं। जनवरी में महाराष्ट्र प्रदेश खांडल विप्र संगठन के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव शुरू हुआ था। इस चुनाव में दामोदर काछवाल, रामावतार रिणवा, संतोष पिपलवा तीन उम्मीदवार थे। चुनाव के समय शर्त थी कि अध्यक्ष पद के उम्मीदवार को 51 हजार रुपए गैर-वापसी योग्य आधार पर संगठन को जमा कराने होंगे। शुरुआत में गौरीशंकर चोटिया, मनोज रिणवा और प्रेमराज रूठाला को चुनाव निर्णय अधिकारी नियुक्त किया गया था। चूंकि मनोज रिणवा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, इसलिए नए चुनाव निर्णय अधिकारी विजय सेवड़ा को नियुक्त किया गया। यह बदलाव लातूर में हुआ। पूर्व अध्यक्ष जयनारायण रूठाला लातूर से हैं। इस्तीफा देने वाले चुनाव निर्णय अधिकारी लातूर से हैं और नए नियुक्त चुनाव निर्णय अधिकारी भी लातूर से हैं, इसलिए इसमें कुछ खेल है। इस चुनाव में दो उम्मीदवारों में से दामोदर काछवाल ने कुछ () समूह के लोगों का नाम लेकर खुद ही चुनाव से नाम वापस ले लिया। दूसरे उम्मीदवार रामावतार रिणवा को निर्वाचित करवाने की साजिश में शामिल कई लोगों ने नासिक पहुंचकर उसे भी नाम वापस लेने पर मजबूर कर दिया। परिणामस्वरूप चुनाव निर्विरोध हुआ और संतोष पीपलवा को अध्यक्ष घोषित किया गया। जयनारायण रूथला ने फिर चाल चली और रविवार 15 जून को शाम को केवल लातूर के चुनाव निर्णय अधिकारी की मौजूदगी में संतोष पीपलवा के निर्वाचित होने की घोषणा कर दी। तब बाकी दो चुनाव निर्णय अधिकारी क्या कर रहे थे और उन्हें क्यों नहीं बुलाया गया? जयनारायण रूथला द्वारा प्रसारित फोटो में चुनाव प्रमाण पत्र भी दिखाई नहीं दे रहा है। इससे पहले नांदेड़ में एक खेल हुआ था। एक अंतिम संस्कार में आए संतोष पीपलवा का () समूह के लोगों ने अभिनंदन किया था। विश्वसनीय सूत्रों ने जानकारी दी है कि यह अभिनंदन समारोह नांदेड़ के चुनाव निर्णय अधिकारी प्रेमराज रूथला नामक व्यक्ति ने आयोजित किया था। तस्वीरों से यह भी पता चलता है कि संतोष पिपलवा को सम्मान स्वीकार करना पड़ा, जबकि उनकी इसमें कोई रुचि नहीं थी।

काही जण सांगतात की, व्हाटसऍप ग्रुपवर जाहीर करण्यात आलेल्या संतोष पिपलवा यांच्या फोटोला पाहून() गटाला वाटतो तो घाणेरडा गट त्यांच्या विरुध्द लिहिल आणि संतोष पिपलवा आपोआपच () गटात सहभागी होतील. पण हा त्या गटाचा गैरसमज आहे. कारण निवडणुकीच्या अगोदरपासून संतोष पिपलवा ज्या पध्दतीचे शब्द समाजाला देत आहेत त्यात ते चुकीचे करणार नाहीत अशी अपेक्षा महाराष्ट्राच्या खांडल समाज बंधूंना आहे. बदल हा नियतीचा नियम आहे. त्याप्रमाणे बदल झालाच आहे. पण आजपर्यंत फक्त फोटो, हार, मुमेंटो घेण्या-देण्यातच या महाराष्ट्र प्रदेश संघटनेची सरसी होती पण ती संतोष पिपलवा मोडतील अशी अपेक्षा महाराष्ट्रातील सर्व खांडल समाज बंधूंना संतोष पिपलवा यांच्याकडून आहे.

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