क्या खांडल विप्र समाज के नये अध्यक्ष बीएचएमबी समूह से घिर जायेंगे ?

नांदेड़ (प्रतिनिधि)- महाराष्ट्र प्रदेश खांडल विप्र संगठन के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव जनवरी-2025 में शुरू होकर जून 2025 में समाप्त हो गया। दुनिया में ऐसा कोई चुनाव नहीं होगा जो इतने दिन चला था। आज भी इस पर कई आपत्तियाँ हैं। कई चर्चाएँ हो रही हैं। लेकिन निर्विरोध चुने गए नए अध्यक्ष संतोष पीपलवा का कई जगहों पर सम्मान और अभिनंदन किया जा रहा है। यानी आज चुनाव संपन्न होने में कोई आपत्ति नहीं है। खांडल समाज को भगवान परशुराम का वंशज माना जाता है। हालाँकि, भगवान परशुराम जैसा कोई आचरण कुछ लोग नहीं रखते है अब खांडल बंधुओं को डर है कि नया अध्यक्ष भी BHMB समूह के अंतर्गत आयेंगे क्या, जिसकी शुरुआत 2006 में हुई थी,और BHMB समहू नांदेड़ था। यह चुनाव जनवरी 2025 में शुरू हुआ था। इसमें एक नया नियम लाया गया था कि अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को 51 हज़ार रुपये गैर-वापसी योग्य आधार पर देने होंगे। दरअसल देशभर में खांडल विप्र संगठन का कामकाज महासभा के नियमों के अनुसार ही चलता है। लेकिन प्रदेश अध्यक्ष अपने विवेक से सब कुछ नया करते हैं। इस चुनाव में संतोष पीपलवा के साथ नासिक से रामावतार रिणवा और अमरावती से दामोदर काछवाल भी अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल थे। दामोदर काछवाल को BHMB समूह ने चुनाव में उतारा था। लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आया, उन्हें बेचैनी महसूस हुई और उन्होंने अपना आवेदन वापस ले लिया। उसके बाद सुनील चोटिया और अशोक चोटिया या दोनों संतोष पीपलवा को नासिक ले गए। क्योंकि दामोदर काछवाल ने अपना आवेदन वापस लेने के लिए जो आवेदन दिया था। वह आवेदन सुनील चोटिया के पास था और उन्होंने इसे उजागर नहीं होने दिया और जो लोग संतोष पीपलवा और रामावतार रिणवा को चुनाव हराना चाहते थे, अब उनके लिए संतोष पीपलव को दिखाने का समय आ गया था कि हम आपके हैं और आखिरकार उन्होंने रामावतार रिणवा से अपना आवेदन वापस भी लेने लगवाया।

सवाल यह है कि चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने से पहले संतोष पीपलवाने राज्य के खांडल समाज से यह वादा किया था कि अगर मैं सत्ता में आया तो 2006 से समाज के पैसों की हो रही हेराफेरी को उजागर करूंगा। किसी भी पुराने पदाधिकारी को दोबारा पद नहीं दूंगा। समाज की भलाई के लिए जो भी हो सकेगा, करूंगा। महाराष्ट्र प्रदेश खांडल विप्र संगठन के बैंक खाते अलग-अलग गांवों में खुले हैं। मैं उनके सभी खातों को मिलाकर एक ही बैंक खाता रखूंगा। खांडल छात्रों के लिए पुणे में एक छात्रावास बनवाऊंगा। ये सब करते हुए उन्हें सहयोग की भी जरूरत होगी और संतोष पीपलवा ने इसकी शुरुआत मुंबई से कर दी है। हमें भी उम्मीद है कि उनके प्रयास सफल होंगे। हालांकि, पूरे महाराष्ट्र प्रदेश खांडल विप्र संगठन के सदस्य चाहते हैं कि उन्होंने महाराष्ट्र के खांडल समाज के लिए जो चुनाव घोषणापत्र घोषित किया था, उसे पूरी तरह से लागू किया जाए। इस खबर को लिखते समय, हम यह भी जानते हैं कि BHMB सदस्य संतोष पीपलवा के पुराने घोटालों को उजागर करने में उनके लिए मुश्किलें खड़ी करेंगे, उनके पुराने परिचितों का फायदा उठाकर, वे संतोष पीपलवा के लिए कोई भी नया काम कुशलता से करने में मुश्किलें खड़ी करेंगे। लेकिन इन सभी उतार-चढ़ावों को पार करते हुए, संतोष पीपलवा को एक मोड़ लेना ही होगा। क्योंकि मोड़ कभी सीधा नहीं होता। BHMB समूह ने आज तक कई खांडल बंधुओं के पारिवारिक विवादों को खत्म नहीं होने दिया है। इसमें सबसे बड़ा योगदान पूर्व कानूनी सलाहकार का है। वे कहते हैं कि उन्होंने कुछ के विवादों को खत्म कर दिया है। लेकिन जब वे खाण्डल बंधू परिवारों से बात करते हैं, तो BHMB समूह द्वारा उन्हें दी गई परेशानी सुनकर ही उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। संतोष पीपलवा को भी मिले बदलाव को स्वीकार करना चाहिए। परिवर्तन प्रकृति का नियम है। किसी को तो बिल्ली के गले में घंटी बांधनी ही है, इसलिए उम्मीद है कि संतोष पीपलवा इसकी शुरुआत करेंगे और महाराष्ट्र में रहनेवाले खांडल बंधुओ की अपेक्षाएँ पूरी करंगे। अन्यथा, विद्रोही अपना काम करते रहेंगे।

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