भावपूर्ण श्रद्धांजली –श्री शारदा प्रसाद यादव सर को

 

मेरे जीवन के आरंभिक दौर में जब मैं अपने भविष्य और करियर को लेकर अनिश्चितता से जूझ रहा था, तब एक व्यक्तित्व ने मुझे न केवल दिशा दी, बल्कि मुझे एक बेटे की तरह स्नेह और विश्वास दिया। वह कोई और नहीं, बल्कि महाराष्ट्र पुलिस के पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, आईपीएस श्री शारदा प्रसाद यादव सर थे – मेरे पहले और सबसे महत्वपूर्ण मेंटर।

 

आज जब यह दुखद समाचार मिला कि वह हमारे बीच नहीं रहे, तो मन भीतर तक हिल गया। एक ऐसा शख्स, जिन्होंने सिर्फ अपने कर्तव्यों को नहीं निभाया, बल्कि अपने आस-पास के लोगों के जीवन में रोशनी और मार्गदर्शन का काम किया – उनका इस तरह से जाना एक अपूरणीय क्षति है। मैं उन्हें केवल एक अधिकारी के रूप में नहीं, बल्कि एक पिता, एक मित्र, और एक सच्चे मार्गदर्शक के रूप में याद करता हूं।

 

याद है, जब मैंने पुलिस विभाग में अपने कदम रखे थे, तब न अनुभव था, न आत्मविश्वास। उस समय यादव सर ने मुझे एक सच्चे मेंटर की तरह अपनाया। वह सिर्फ आदेश नहीं देते थे, वह सिखाते थे – हर काम के पीछे की सोच, हर निर्णय के पीछे की जिम्मेदारी, और हर वर्दी के पीछे का मानवीय पक्ष। उन्होंने मुझे विभाग की बारीकियाँ सिर्फ किताबों या नियमों से नहीं सिखाईं, बल्कि अपने जीवन के अनुभवों और अपने कर्मों के माध्यम से सिखाईं।

 

एक सच्चे लीडर की पहचान उसके पद से नहीं, बल्कि उसके प्रभाव से होती है – और यादव सर का प्रभाव मेरे जीवन में अमिट है। उन्होंने मुझे बताया कि एक पुलिस अधिकारी होने का अर्थ सिर्फ कानून का पालन कराना नहीं, बल्कि समाज के प्रति संवेदनशील और जवाबदेह होना भी है। वह अनुशासन और करुणा का अद्भुत संतुलन थे – और यही संतुलन उन्होंने मुझे सिखाया।

 

मेरे करियर के शुरुआती दौर में जब मैं कई बार आत्म-संदेह से घिर गया था, तब सर ने मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। वह हमेशा कहते थे, “जब तुम सही हो, तो डरना कैसा?” उनके यह शब्द आज भी मेरे अंदर गूंजते हैं और हर कठिन परिस्थिति में मुझे हिम्मत देते हैं।

 

व्यक्तिगत जीवन में भी सर मेरे लिए एक अभिभावक की तरह थे। उन्होंने मुझे सिर्फ एक अधिकारी के रूप में नहीं, एक इंसान के रूप में भी बेहतर बनाने की कोशिश की। उनकी सलाहें, उनके किस्से, और उनकी सादगी – यह सब मुझे हमेशा प्रेरित करते रहे। वह न कभी ऊँची आवाज में बोले, न कभी किसी को नीचा दिखाया – फिर भी उनका सम्मान हर किसी की आँखों में दिखता था।

 

उनकी जीवन यात्रा हम सबके लिए प्रेरणास्पद है – एक सच्चे कर्मयोगी की, जिसने अपने फर्ज को पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ निभाया। उन्होंने न केवल विभाग में अपनी अमिट छाप छोड़ी, बल्कि जिन-जिन लोगों के जीवन को उन्होंने छुआ, उन सभी के दिलों में एक विशेष स्थान पाया।

 

आज वह हमारे बीच भले ही नहीं हैं, लेकिन उनका दिया हुआ मार्गदर्शन, उनके सिद्धांत, और उनकी स्मृतियाँ हमेशा हमारे साथ रहेंगी। मैंने एक मेंटर खोया है, एक मित्र खोया है, एक पिता-समान व्यक्ति खोया है – लेकिन उनके द्वारा सिखाई गई बातें मेरी आत्मा का हिस्सा बन चुकी हैं।

 

यादव सर के लिए यह कहना बिल्कुल भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि वह एक महापुरुष थे – जिनका जीवन दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना। ऐसे व्यक्तित्व को शब्दों में बाँधना संभव नहीं, लेकिन यह श्रद्धांजलि उनके प्रति मेरे अपार सम्मान और कृतज्ञता का एक छोटा सा प्रयास है।

शारदा प्रसाद यादव सर, आपको सत-सत नमन।

आपने न केवल एक संस्था को मजबूत किया, बल्कि हम जैसे अनेकों को जीवन जीने की सही दिशा दी। आपकी कमी कभी पूरी नहीं हो सकती, लेकिन आपकी यादें, आपकी सीख और आपका आशीर्वाद हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता रहेगा।

ईश्वर से प्रार्थना है कि वह आपकी आत्मा को शांति प्रदान करे और आपके परिवार को इस असहनीय दुख को सहने की शक्ति दे।

आपका जीवन हमारे लिए हमेशा एक प्रकाश स्तंभ बना रहेगा।

भावपूर्ण श्रद्धांजली- गुरुदिपसिंघ कालरा

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