मैं जिंदगी में एक ही बार फेल हुआ और मुझे फेल होने का मतलब समझ में आ गया


नांदेड- मैं शारदा भवन स्कूल में उस टाईम चौथी कक्षा में पढ रहा था…मेरे पिताश्री नौकरी के लिये मुंबई रहते थे, कभी कभार कुछ दिनो के लिये नांदेड आते थे….संयोग से मेरे चौथी कक्षा के रिझल्ट के टाईम पिताजी नांदेड आये हुये थे…. हमारे वक्त ज्यादा तर बच्चों को उस उम्र में पास फेल का अंतर नहीं समझ में आता था….हम नियमित रूप खुद ही अपने हम उम्र बच्चों के साथ स्कूल पैदल ही जाते थे… स्कूल से आने पर पेट पुजा हो जाने पर दिन दिन भर खेल कुद,पेडों  पर चढना,अडोस पडोस के कीसी के भी घर पर खेलते रहना भुख लगी तो वंही खा लेना ऐसा नित्यक्रम रहता था…. फिर दुसरे दिन से वही रुटीन जिंदगी रहती थी….उस टाईम ट्युशन लगाने को बहोत बुरा मानते थे….माता पिता भी बच्चों पर पढाई का बर्डन नहीं डालते तथा शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा रहे इस लिये ज्यादा तर खेद कुद करने की आजादी देते थे*…………*मेरे वार्षिक परीक्षा के रिझल्ट का दिन आ गया मुझे पास होना ता फेल होना क्या होता है पता नहीं था… मैं भी अपना रिझल्ट लेने स्कूल पंहुच गया….. जैसे हमारे शिक्षक हर एक विद्यार्थी को एक एक कर के प्रोग्रेस कार्ड देते और कीसी को पास कहते तो वे बच्चे खुशी खुशी प्रोग्रेस कार्ड हात में उंचा उठा कर मैं पास हो गया ऐसा जोर जोर से चिल्लाते हुये एक एक से जा रहे थे*……….*अब मेरी बारी आयी तथा मेरे अध्यापक ने मैं फेल हो गया कह कर प्रोग्रेस कार्ड मेरे हाथ में थमा दीये….. मेरा खुशी का ठिकाणा ना रहा के मुझे प्रोग्रेस कार्ड मिला!… मैं भी हात में प्रोग्रेस कार्ड उंचा उठा कर जोर चिल्लाता हुआ के मैं फेल हो गया… मैं फेल हो गया पुरे रास्ते से चिल्लाता हुआ …सीधे घर तक पहुंच गया*……….* *मुझे क्या पता था पास होना क्या है फेल होना क्या है…. मुझे उस की परिभाषा ही पता नहीं थी …मैं सीधे भाग कर मेरे पिताजी से जाकर खुशी खुशी बाबा मैं फेल हो गया बोल कर उन के हाथ में प्रोग्रेस कार्ड थमा कर झुमने लगा…..मेरे बाबा थोडी देर मुझे निहारते रहे…. फिर मुझे नजदीक बुला कर पुछने लगे…बेटे तु फेल हो गया तुझे कैसा लग रहा है….. मेरा जबाब था बहोत अच्छा लग रहा है! मुझे तो प्रगती पत्र मिलने की ही खुशी हो रही थी!*……..*मेरा जबाब सुन कर मेरे बाबा ने एक बेत की छडी ( बांस की पतली छडी) हाथ में ली तथा मुझे पीटना सुरू कर दिया तथा कहने लगे फेल होना तुझे बहोत अच्छा लगता है वाह…. तथा मेरे बाबा ने मेरी इतनी ज्यादा पिटाई की के मेरे पुरे शरीर पर बल उभर कर आ गये तथा मुझे तेज बुखार आ गया…..मेरे बाबा ने मुझे  पुरी जिंदगी में पहली तथा आखरी बार पिटाई की*……….*उस के बाद मैं रात भर दर्द से कराह रहा था तथा नींद भी नहीं आ रही थी….. मेरे माता पिता जी ने दवाई देने के बावजुद बुखार कम नहीं हुई थी*……*उस पुरी रात मेरे माता पिता दोनो मेरे पास बैठ कर कभी मलहम लगा रहे कभी कपडे से मुझे हवा कर रहे थे…. मुझे दर्द की वजह से नींद नहीं आ रही थी परंतु डर के मारे सोने का नाटक कर रहा था… तथा आंखें बंद कर रखी थी*……..*उस दिन  मेरे माता पिता पुरी रात भर नहीं सोये तथा  रात में आपस में बातें कर रहे थे……उनका आपसी संवाद सुन कर मुझे पास तथा फेल के  परिभाषा की समझ आ गय ‌‌…… मेरे माताजी पिताजी से कह रहे थे आप ने इतने छोटे बच्चे को इतना ज्यादा नहीं मारना चाहिए था….. बच्चा छोटा है अभी उसे क्या समजता है!…….मेरे बाबा पश्चात्ताप करते हुये बोल रहे थे…..तुम सच बोल रही हो मुझ से गलती हो गयी!….उस पुरी रात मेरे माता पिता सोये नहीं….यह सब सुन कर मेरे छोटे मन को समझ आ गयी के हमारे वजह से अगर हमारे माता पिता को तकलीफें होती है तो वह बातों से दूर रहना चाहिए! ……यह केवल शिक्षा  क्षेत्र में ही में पास होना फेल होना नहीं हैं!…तो ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहिए जिससे अपने माता पिता को छोटी से छोटी तकलीफ हो कर वे दुःखी नहीं होना चाहिए! और उन्हें हमारी वजह से कीसी भी प्रकार की शर्मीदंगी महसुस ना हो………*गुरु महाराज की ऐसी कृपा हुई उस के बाद मैंने कभी भी जिंदगी में कभी अपने माता पिता तो जीते जी कभी कीसी भी बात पर दुःखी नहीं होने दिया!……*आज तक भी कोशिश करता हुं कंही उनकी आत्मा इस जगत में घुम रही हो तो उन्हें तकलीफें हो ऐसे काम नहीं करने की पुरी कोशिश करता हुं……आप लोग अंधश्रद्धा कहे या और कुछ आज भी जब भी मैं कुछ तकलीफ में आ जाता हुं तो मेरे माता पिता मुझे कभी सपने में या कभी अन्य तरिके से हीम्मत और आर्शिवाद देते है*……….*यहाँ पर एक बात विशेष रूप से बताना चाहुंगा शायद बहोत से लोग इसे मानेगे नहीं या मुझे पागल भी ठहरायेगें….. मैं मेरे सासुमां को भी मां की हैसीयत से देखता था…. तथा वे भी मुझे बेटे जैसा प्यार करते थे मुझे भी कोरोना हो गया था तथा मैं लातुर में कोरनटाईन था….मेरी सासुमां 2014 में चल बसे….. परंतु जब मैं कोरटाईन में था तब प्रत्यक्ष मेरे पास आ कर मुझ से मेरे तबीयत की पुछताछ करने के लिये प्रत्यक्ष रुप से आ कर बातचित कर के चले गये!*………*अब नये जमाने का नया चलन सुरू हो गया है सोशल मीडिया पर मदर डे,फादर डे, सिस्टर डे तथा ना जाने कीतने डे मनाये जा रहे है…. मैं ज्यादा तर ऐसे झमेले से दूर ही रहने की कोशिश करता हुं……परंतु आज भी मै  हर रोज मदर डे,फादर डे परीवार डे तथा सभी डे रोज दील से नाने का प्रयास करता हुं*. *

-राजेंद्र सिंघ नौनिहाल सिंघ शाहू

शाहू इलेक्ट्रिकल ट्रैनंर अबचलनगर नांदेड 7700063999*

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